ट्रैन उस छोटे से स्टेशन पे जब रुक गयी तो रात के 9:00 बजे थे। उस लॉन्ग स्टॉप का यह रुट असल में शाम को 4:00 बजे आता था। पर ट्रैन लेट होने से इतना टाइम लगा। जिस स्टेशन पे ट्रैन रुकी वो गॉव इतना बड़ा नहीं था। पर वो स्टेशन इंडस्ट्रियल एरिया से २० किमी दूर होने से काफी ट्रैंस वहांपर रूकती थी. जब ट्रैन रुकी तो 30-40 लोग उतर गये।
उन लोग में प्लेटफार्म पे एक 40-42 साल की औरत उसकी 20 साल की बेटी के साथ उतर गयी । जो लोग ट्रैन से उतरे, वो जल्दी जल्दी निकल गये और सिर्फ 3-4 लोग ही, थे अब प्लेटफार्म । आरती जो अपनी बेटी पूजा के साथ उतरी अपनी पति से मिलने आइ थी। आरती का पति , उस इंडस्ट्रियल एरिया में काफी अच्छी पोस्ट पे था और आज 4 महीने हो गये थे, वो एक प्रोजेक्ट पे था। इन 4 महीने में ना ही वो घर आ सका था और ना आरती उससे मिल सकी थी। प्रोजेक्ट कंपनी के लिए बड़ा इम्पोर्टेन्ट था और आरती का पति प्रोजेक्ट मैनेजर होने से अपने लिए वक़्त ही नहीं दे पा रहा था। अब पूजा के कालेज को छुट्टियां लगने से उसने अपनी बीवी और बेटी को बुला लिया था।
आरती ने यहां वहाँ देखा पर उसका पति कहीं नजर नहीं आ रहा था। उसका पति उसे लेने आने वाला था, पर वो अभी तक आया नहीं था और इस लिए आरती और उसकी बेटी अकेली खड़ी थी प्लेटफार्म पे। जिस ट्रैन से वो आई थी, वो ट्रैन भी धीरे-धीरे करके स्टेशन से निकल गयी थी। आरती ने शिफॉन की लाल साड़ी और ब्लाउज पहना था। स्लीवलेस ब्लाउज से उसके गोरे आर्म्स सेक्सी लग रहे थे। ब्लाउज टाईट होने से, अंदर की ब्रा का आउटलाइन साफ नजर रहा था।
पूजा ने शार्ट जींस स्कर्ट और टाईट शार्ट टी शर्ट पहना था। टी शर्ट इतना टाईट था की उसकी चूंचियां उभरी उभरी दिखाई दे रही थी और टी शर्ट शार्ट होने से काफी बार उसका बेल्ली बटन भी दीखता था। दोन माँ बेटी, एकदम सेक्सी दिख रही थी और अब ऐसी जगह खड़ी थी जहां के लोग ने कभी इतनी सुंदर औरते देखी नहीं थीं।
आरती उसके सामान के साथ खड़ी थी तो एक कुली उसका सामान उठाने आते बोला- “मेमसाब, कुली चाहिए मैं सामान उठाऊँ आपका…”
आरती ने उस कुली के कपड़े देखते नजरें दिखाते कहा- “कैसे-कैसे गंदे कुली रखे हैं रेलवे ने स्टेशन पे। नहीं हमें कुली नहीं चाहिए। हमारे पास इतना सामान नहीं है ना पूजा की कुली चाहिए ”
पूजा ने भी उस कुली को देखते ना कहा।
उस कुली ने उन माँ-बेटी को ऊपर से नीचे तक देखते, आहें भरते कहा- “क्यों मेमसाब… क्या हम इतने गंदे है…
अरे मेमसाब, आजमा के देखो तो समझ ना मेमसाब की कैसे कुली है हम… कहो तो आप दोन को एक साथ उठाऊँ…” दोन को उठाने की बात करते वक़्त उस कुली के नजर में क्या फीलिंग्स थी, वो आरती की नजर से छुपी नहीं थी।
पर इस अंजान जगह आरती कुछ बोल भी नहीं सकती थी। प्लेटफार्म अब पूरा खाली हो गया था स्टेशन मास्टर उसका असिस्टेंट और इन तीन के सिवा और कोई नहीं था वहाँ। आरती ने अपनी नजर में गुस्सा दिखाते पर आवाज में वही नरमी रखते कहा- “सामान उठाने की बात जाने दो, यह बताओ, यहां से गॉव और वो इंडस्ट्रियल एरिया कितने दूर हैं गॉव में कोई अच्छा होटेल है क्या… और इसके बाद कोई train हैं क्या …”
वो कुली पूजा के एकदम पास खड़े होके बोला- “कल सुबह अगली ट्रैन आएगी, अब तो मेमसाब, गॉव
स्टेशन से 3 क॰मी॰ दूर है और वो एरिया तो 20 क॰मी॰ दूर है। मेमसाब, हमारा गॉव इतना छोटा है की कोई ढंग का लॉज भी नहीं है उसमे। और जो लॉज है एकदम गंदा और बदनाम है, जहां आप जैसे परिवार एक मिनट भी नहीं रह सकते। वैसे मेमसाब, आप रात को कहा ठहरोगी…”
उस कुल, को एक बार देखते आरती को लगा की उसे कुछ सुना डालँ पर वो कुछ नहीं बोल सकी उसने इधर-उधर अपने पति को खोजते कहा- “हमको तो यही रुकना है। हमारे पति हमें लेने आने वाले हैं। हमारे पति उस इंडस्ट्रियल एरिया में काम करते हैं और हम उनसे मिलने आये हैं। हम वेटिंग रूम में उनका वेट करेंगे पूजा…”
पूजा उसके बैग उठाते नाराजी से बोल,- “ममी, देखा डैडी कैसे हैं… उनको मालूम है की हम दोनों यहां अजनबी हैं लेकिन फिर भी हमको लेने नहीं आये…”
आरती ने अपनी हैंड बैग उठाके उस कुली की तरफ देखते जवाब दिया- “पता नहीं उनको कुछ काम आ गया होगा बेटा। चल हम वाइतोंग रूम में उनकी राह देखते हैं और तू उनको फोन लगा। वैसे भी प्लेटफार्म पे लाइट बहुत कम है और कोई लोग भी नहीं दिख रहे…”
जैसे आरती वेटिंग रूम की तरफ जाने लगी तो उस कुली ने बिना बोले उनका बाकि सामान उठाके वेटिंग रूम में ले जाके रखते, आरती के सीने की तरफ देखते कहा- “ठीक है मेमसाब, जैसे आपकी मर्जी । वैसे मैं यहां बाहर ही सोया हूँ कुछ लगे तो मुझे बुलाना। मेरा नाम जहीर है। मेमसाब, मेरा घर यह, बाजू में है, अगर आप चाहे तो हमारे घर रुक सकती हो आपकी बेटी के साथ। यहां वेटिंग रूम में कोई नहीं होता है रात में …” आरती जहीर की इस बात पे कोई जवाब नहीं देती तो जहीर बाहर जाके, वेटिंग रूम के एकदम सामने, प्लेटफार्म पे एक कपड़ा बिछा के, आरती की तरफ पैर करके लेटते गया। आरती ने अपने पति को मोबाइल लगाया। जब उसके पति ने फोन उठाया तो आरती ने उनसे पूछा की वो स्टेशन क्यों नहीं आये उनको लेने।
अपनी बीवी की बात सुनके उसका पति एकदम सन्न \ रह गया। आरती का पति काम के सिलसिले में दो दिन बाहर गया था और वो यह बात भूल ही गया था की उसकी बीवी और बेटी आने वाले थे। उनका कोई स्टाफ भी नहीं था िजसको वो बोलते की जाके उनकी बीवी और बेटी को ले आये। आfखर में आरती के पति ने उनको कल रात का वक़्त किसी लॉज में निकालने को कहा और यह भी कहा की वो परस सुबह उनको लेने आएँगे। आरती ने फोन कट किया और सोचने लगी की परसो सुबह तक का वक़्त कैसे निकाला जाए। उसने पूजा को इसके बारे में कुछ नहीं बताया।
वेटिंग रूम में काफी लाइट्स थी। उन दोन के सिवा उस रूम में और कोई नहीं था। आरती एक चेयर पे बैठी और सामने के टेबल पे अपने पैर रखे। ऐसा करने से उसकी साड़ी जरा ऊपर की तरफ उसके घुटने तक उठ गयी। आरती ने साड़ी नीचे नहीं की। जब उसकी नजर बाहर लेटे जहीर की तरफ गयी तो उसने देखा की जहीर की लुंगी घुटने के ऊपर उठी थी। अचानक आरती ने जो देखा उसे धक्का लगा। वेटिंग रूम की लाइट जहीर के ओपन लुंगी में रोशनी डाल रह, थी िजससे आरती को जहीर का लंड साफ दिख रहा था। जहीर बेखबर होके लेटा था। आरती की नजर बार-बार उसके उस लंड की तरफ fखंची जा रह, थी। आरती ने पूजा को देखा तो पूजा एक मैगजीन पढ़ रह, थी।
आरती ने भी उसके पास की किताब उठाके उसके पीछे से जहीर का लंड देखने लगी। इधर जहीर प्लेटफार्म पे लेटा था, पैर आरती की तरफ करके और आरती को देख रहा था। आरती और पूजा के जिस्म के बार में सोचके उसका लंड खड़ा हुआ था। अब तो आरती के घुटने तक के नंगे पैर देखके उसे और भी अच्छा लग रहा था। अपने लंड की तरफ देखते हुवे उसने एक बार आरती को पकड़ा। बेशर्म बनके, अपना लंड सहलाते वो बोला- “क्या हुआ मेमसाब, आये क्या आपके पति...
जहीर के सवाल से जरा शरमाते आरती ने कोई जवाब नहीं दिया। बुक पे पीछे अपनी नजर डालते आरती सोचने लगी की जहीर का लंड कितना मोटा है। और कितने झांट के बाल भी है उसके लंड पे। आज इतने महीने से पति से दूर रहके गुजारने से आरती बेहाल थी। उससे लगा था की आज रात पति के साथ खूब मस्ती करुँगी
पर अब परसो तक उसका पति नहीं आनेवाला था। इतने दिन भूखे रहने से आरती लंड के लिए तड़प रही थी और अब जहीर का काला मोटा लंड देखके उसके जिस्म में आग लगने लगी थी। आरती इसी सोच में डूबी थी जब पूजा ने उससे कहा की वो यहां बैठके बोर हो गयी है और जरा प्लेटफार्म पे चक्कर लगाने जा रही है। आरती ने उससे रोका नहीं और बुक पढ़ने का नाटक करने लगी। जैसे ही पूजा उसके सामने से निकल गयी, आरती चुपके से जहीर को देखने लगी।
उन लोग में प्लेटफार्म पे एक 40-42 साल की औरत उसकी 20 साल की बेटी के साथ उतर गयी । जो लोग ट्रैन से उतरे, वो जल्दी जल्दी निकल गये और सिर्फ 3-4 लोग ही, थे अब प्लेटफार्म । आरती जो अपनी बेटी पूजा के साथ उतरी अपनी पति से मिलने आइ थी। आरती का पति , उस इंडस्ट्रियल एरिया में काफी अच्छी पोस्ट पे था और आज 4 महीने हो गये थे, वो एक प्रोजेक्ट पे था। इन 4 महीने में ना ही वो घर आ सका था और ना आरती उससे मिल सकी थी। प्रोजेक्ट कंपनी के लिए बड़ा इम्पोर्टेन्ट था और आरती का पति प्रोजेक्ट मैनेजर होने से अपने लिए वक़्त ही नहीं दे पा रहा था। अब पूजा के कालेज को छुट्टियां लगने से उसने अपनी बीवी और बेटी को बुला लिया था।
आरती ने यहां वहाँ देखा पर उसका पति कहीं नजर नहीं आ रहा था। उसका पति उसे लेने आने वाला था, पर वो अभी तक आया नहीं था और इस लिए आरती और उसकी बेटी अकेली खड़ी थी प्लेटफार्म पे। जिस ट्रैन से वो आई थी, वो ट्रैन भी धीरे-धीरे करके स्टेशन से निकल गयी थी। आरती ने शिफॉन की लाल साड़ी और ब्लाउज पहना था। स्लीवलेस ब्लाउज से उसके गोरे आर्म्स सेक्सी लग रहे थे। ब्लाउज टाईट होने से, अंदर की ब्रा का आउटलाइन साफ नजर रहा था।
पूजा ने शार्ट जींस स्कर्ट और टाईट शार्ट टी शर्ट पहना था। टी शर्ट इतना टाईट था की उसकी चूंचियां उभरी उभरी दिखाई दे रही थी और टी शर्ट शार्ट होने से काफी बार उसका बेल्ली बटन भी दीखता था। दोन माँ बेटी, एकदम सेक्सी दिख रही थी और अब ऐसी जगह खड़ी थी जहां के लोग ने कभी इतनी सुंदर औरते देखी नहीं थीं।
आरती उसके सामान के साथ खड़ी थी तो एक कुली उसका सामान उठाने आते बोला- “मेमसाब, कुली चाहिए मैं सामान उठाऊँ आपका…”
आरती ने उस कुली के कपड़े देखते नजरें दिखाते कहा- “कैसे-कैसे गंदे कुली रखे हैं रेलवे ने स्टेशन पे। नहीं हमें कुली नहीं चाहिए। हमारे पास इतना सामान नहीं है ना पूजा की कुली चाहिए ”
पूजा ने भी उस कुली को देखते ना कहा।
उस कुली ने उन माँ-बेटी को ऊपर से नीचे तक देखते, आहें भरते कहा- “क्यों मेमसाब… क्या हम इतने गंदे है…
अरे मेमसाब, आजमा के देखो तो समझ ना मेमसाब की कैसे कुली है हम… कहो तो आप दोन को एक साथ उठाऊँ…” दोन को उठाने की बात करते वक़्त उस कुली के नजर में क्या फीलिंग्स थी, वो आरती की नजर से छुपी नहीं थी।
पर इस अंजान जगह आरती कुछ बोल भी नहीं सकती थी। प्लेटफार्म अब पूरा खाली हो गया था स्टेशन मास्टर उसका असिस्टेंट और इन तीन के सिवा और कोई नहीं था वहाँ। आरती ने अपनी नजर में गुस्सा दिखाते पर आवाज में वही नरमी रखते कहा- “सामान उठाने की बात जाने दो, यह बताओ, यहां से गॉव और वो इंडस्ट्रियल एरिया कितने दूर हैं गॉव में कोई अच्छा होटेल है क्या… और इसके बाद कोई train हैं क्या …”
वो कुली पूजा के एकदम पास खड़े होके बोला- “कल सुबह अगली ट्रैन आएगी, अब तो मेमसाब, गॉव
स्टेशन से 3 क॰मी॰ दूर है और वो एरिया तो 20 क॰मी॰ दूर है। मेमसाब, हमारा गॉव इतना छोटा है की कोई ढंग का लॉज भी नहीं है उसमे। और जो लॉज है एकदम गंदा और बदनाम है, जहां आप जैसे परिवार एक मिनट भी नहीं रह सकते। वैसे मेमसाब, आप रात को कहा ठहरोगी…”
उस कुल, को एक बार देखते आरती को लगा की उसे कुछ सुना डालँ पर वो कुछ नहीं बोल सकी उसने इधर-उधर अपने पति को खोजते कहा- “हमको तो यही रुकना है। हमारे पति हमें लेने आने वाले हैं। हमारे पति उस इंडस्ट्रियल एरिया में काम करते हैं और हम उनसे मिलने आये हैं। हम वेटिंग रूम में उनका वेट करेंगे पूजा…”
पूजा उसके बैग उठाते नाराजी से बोल,- “ममी, देखा डैडी कैसे हैं… उनको मालूम है की हम दोनों यहां अजनबी हैं लेकिन फिर भी हमको लेने नहीं आये…”
आरती ने अपनी हैंड बैग उठाके उस कुली की तरफ देखते जवाब दिया- “पता नहीं उनको कुछ काम आ गया होगा बेटा। चल हम वाइतोंग रूम में उनकी राह देखते हैं और तू उनको फोन लगा। वैसे भी प्लेटफार्म पे लाइट बहुत कम है और कोई लोग भी नहीं दिख रहे…”
जैसे आरती वेटिंग रूम की तरफ जाने लगी तो उस कुली ने बिना बोले उनका बाकि सामान उठाके वेटिंग रूम में ले जाके रखते, आरती के सीने की तरफ देखते कहा- “ठीक है मेमसाब, जैसे आपकी मर्जी । वैसे मैं यहां बाहर ही सोया हूँ कुछ लगे तो मुझे बुलाना। मेरा नाम जहीर है। मेमसाब, मेरा घर यह, बाजू में है, अगर आप चाहे तो हमारे घर रुक सकती हो आपकी बेटी के साथ। यहां वेटिंग रूम में कोई नहीं होता है रात में …” आरती जहीर की इस बात पे कोई जवाब नहीं देती तो जहीर बाहर जाके, वेटिंग रूम के एकदम सामने, प्लेटफार्म पे एक कपड़ा बिछा के, आरती की तरफ पैर करके लेटते गया। आरती ने अपने पति को मोबाइल लगाया। जब उसके पति ने फोन उठाया तो आरती ने उनसे पूछा की वो स्टेशन क्यों नहीं आये उनको लेने।
अपनी बीवी की बात सुनके उसका पति एकदम सन्न \ रह गया। आरती का पति काम के सिलसिले में दो दिन बाहर गया था और वो यह बात भूल ही गया था की उसकी बीवी और बेटी आने वाले थे। उनका कोई स्टाफ भी नहीं था िजसको वो बोलते की जाके उनकी बीवी और बेटी को ले आये। आfखर में आरती के पति ने उनको कल रात का वक़्त किसी लॉज में निकालने को कहा और यह भी कहा की वो परस सुबह उनको लेने आएँगे। आरती ने फोन कट किया और सोचने लगी की परसो सुबह तक का वक़्त कैसे निकाला जाए। उसने पूजा को इसके बारे में कुछ नहीं बताया।
वेटिंग रूम में काफी लाइट्स थी। उन दोन के सिवा उस रूम में और कोई नहीं था। आरती एक चेयर पे बैठी और सामने के टेबल पे अपने पैर रखे। ऐसा करने से उसकी साड़ी जरा ऊपर की तरफ उसके घुटने तक उठ गयी। आरती ने साड़ी नीचे नहीं की। जब उसकी नजर बाहर लेटे जहीर की तरफ गयी तो उसने देखा की जहीर की लुंगी घुटने के ऊपर उठी थी। अचानक आरती ने जो देखा उसे धक्का लगा। वेटिंग रूम की लाइट जहीर के ओपन लुंगी में रोशनी डाल रह, थी िजससे आरती को जहीर का लंड साफ दिख रहा था। जहीर बेखबर होके लेटा था। आरती की नजर बार-बार उसके उस लंड की तरफ fखंची जा रह, थी। आरती ने पूजा को देखा तो पूजा एक मैगजीन पढ़ रह, थी।
आरती ने भी उसके पास की किताब उठाके उसके पीछे से जहीर का लंड देखने लगी। इधर जहीर प्लेटफार्म पे लेटा था, पैर आरती की तरफ करके और आरती को देख रहा था। आरती और पूजा के जिस्म के बार में सोचके उसका लंड खड़ा हुआ था। अब तो आरती के घुटने तक के नंगे पैर देखके उसे और भी अच्छा लग रहा था। अपने लंड की तरफ देखते हुवे उसने एक बार आरती को पकड़ा। बेशर्म बनके, अपना लंड सहलाते वो बोला- “क्या हुआ मेमसाब, आये क्या आपके पति...
जहीर के सवाल से जरा शरमाते आरती ने कोई जवाब नहीं दिया। बुक पे पीछे अपनी नजर डालते आरती सोचने लगी की जहीर का लंड कितना मोटा है। और कितने झांट के बाल भी है उसके लंड पे। आज इतने महीने से पति से दूर रहके गुजारने से आरती बेहाल थी। उससे लगा था की आज रात पति के साथ खूब मस्ती करुँगी
पर अब परसो तक उसका पति नहीं आनेवाला था। इतने दिन भूखे रहने से आरती लंड के लिए तड़प रही थी और अब जहीर का काला मोटा लंड देखके उसके जिस्म में आग लगने लगी थी। आरती इसी सोच में डूबी थी जब पूजा ने उससे कहा की वो यहां बैठके बोर हो गयी है और जरा प्लेटफार्म पे चक्कर लगाने जा रही है। आरती ने उससे रोका नहीं और बुक पढ़ने का नाटक करने लगी। जैसे ही पूजा उसके सामने से निकल गयी, आरती चुपके से जहीर को देखने लगी।