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सिख्नी की चुत (Sikhni Ki Chut) by aslamkhan

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सिख्नी की चुत – पार्ट – 1


हेल्लो दोस्तो मे अस्लम खान हाज़िर हू एक नयी स्टोरी लेकर। ये स्टोरी सिख्नियो पर आधारित है। वेसे एक बात तों माननी पड़ेगी दोस्तो के सिख्नियो को उन्के रब ने बहुत ही शौंक से बनाया है, उन्के एक एक अंग को ताराशा है। सिख्निया बहुत ही चुद्द्कड़ होती है। तो आईये स्टोरी पर आते है।
सिख्नी कमलदीप कौर ठाणे के निरमाण विहार की एक कॉलोनी मे अकेली रह्ती है और उसके मा बाप औरंगाबाद मे रह्ते है। कमलदीप कौर रन्ग की गोरी चिट्टी, उमर 23साल और फिगर 323034है। कमलदीप कौर बहुत ही धार्मिक औरत है। वह हमेशा कुर्ती सलवार पहनती और बाकी सिख्नियो की तरह ही सर पे पगडी बांधती है। कमलदीप कौर जिस रुम मे रह्ती थी उसके साथ वाले रुम में अब्दुल कादिर नाम का मुसलमान रह्ता है। अब्दुल रन्ग का काला, उमर 40साल और जिस्म गठीला मस्लर है। ये दोनो रुम एक ही मालिक के है तो कमरो के भीतर एक दरवाजा है जो अन्दर से दोनो कमरो को एक करता है। सिख्नी कमलदीप कौर ठाणे मे एक प्राइवेट जॉब करती है अब्दुल भी अपनी एक दुकान चलाता है।
कमलदीप और अब्दुल दोनो को अच्छी तरह से जन्ते है और दोनो फ़्री टाईम मे अक्सर बाते करते और साथ चाय पीते है। अब्दुल एक बहुत हरामी आदमी है जो हार किसी औरत को चोद्ना चाहता है। वह जब भी कमलदीप को देखता तो हमेशा उसे चोदने के बारे मे सोचता रहता हालाके अब्दुल कमलदीप से 17साल बड़ा है।
एक दिन जब कमलदीप जॉब से वापिस आयी तो उसने अपने कमरे का दरवाजा खोलने के लिये पर्स मे हाथ डाल कर चाबी निकालने लगी, लेकिन परस मे चाबी नही थी। कमलदीप ने पुरा परस छान दिया लेकिन उसे चाबी नही मिली तो वह थोडा परेशान हो गयी। इतने मे अब्दुल भी आ गया, “कया हुआ कमलदीप बहर खडी हो ” अब्दुल ने कमलदीप को बाहर खडी देख पुछा।
“कुछ नही अब्दुल मियां वो चाबी कही खो गयी है” कमलदीप ने परेशानी मे कहा। “तो इसे तोड दो ना फिर” अब्दुल ने ताले को हाथ मे पकड़ते हुए बोला।
“लेकिन मे केसे तोडू, कुछ है नही मेरे पास” कमलदीप ने कहा। “ओह तो ऐसा करो तुम मेरे कमरे के भीतर के दरवाजे से अपने कमरे मे चली जाना, बाद मे हम ताला तोड़ देंगे” अब्दुल ने कहा। “ठीक है”कमलदीप ने हामी भरी। अब्दुल ने अपने कमरे का दरवाजा खोला, कमलदीप और अब्दुल दोनो अन्दर आ गये तो अब्दुल ने दरवाजा लगा दिया, और दूसरा दरवाजा खोला जिससे कमलदीप अपने कमरे मे चली गयी और अब्दुल को थैंक्स बोल् दरवाजा बन्द कर लिया। कमलदीप अपने कपडे चेंज करने लगी। अब्दुल ने अपने कपडे उतारे और अंडरवेअर के उपर से एक धोत्ती पहन ली।
कुछ समय बाद कमलदीप ने दरवाजा खोला और अब्दुल के कमरे मे आ गयी। अब्दुल अपने कमरे मे बैड पर बेठा था। “अब्दुल मियां वो दरवाजा खोल देते अब” कमलदीप ने अब्दुल को कहा। “खोल देता हू कमलदीप, आओ बेठो ना कित्ने दिनो बाद आयी हो तुम” अब्दुल कमलदीप को देखकर बोला।
“मुझे ऑफिस का काम है अब्दुल मियां फिर कभी बेठ कर बात करेगे” कमलदीप बोली।
“ठीक है कमलदीप खोलता हू” अब्दुल ने कहा और एक सरिया लेकर ताले को तोड़ दिया। ताला तोड अब्दुल ने दरवाजा खोल दिया। कमलदीप ने अब्दुल को थैंक्स कहते हुए कहा, “अब्दुल मियां चाय पियेगे अप”।
अब्दुल तो कमलदीप के साथ वक़्त बिताने का बहाना ढ़ूँढ़ता रहता था। “अरे हा बई क्यो नही, सिख्नी चाय पर बुलाए और हम ना एसा हो ही नही सक्ता” अब्दुल ने जवाब दिया। अब्दुल अक्सर कमलदीप को सिख्नी कहकर ही बुलाता था, और कमलदीप भी आगे से मुस्कुरा देती। “तो आईये ना फिर”कमलदीप ने कहा और अन्दर चली गयी। अब्दुल भी सिख्नी के 34के मटकते चुतड्ड देखता हुआ पीछे कमरे मे आ गया।
“बेठिए अब्दुल मियां मे चाय बना के लाती हू” कमलदीप ने कहा और चाय बनाने के लिये अन्दर किचन मे चली गयी। अब्दुल वहा बेठा बेठा कमरे को देखने लगा, अचानक से उसकी नज़र ट्रंक के उपर पडी एक तलवार पर चली गयी। अब्दुल उठ कर पास आया और उसे हाथो मे लेकर देखने लग गया। इतने मे कमलदीप भी चाय लेके आ गयी। “ये किस लिये है कमलदीप” अब्दुल तलवार दिखाते हुए बोला।
“ये, ये तो आतमरक्षा के लिये है अब्दुल मियां कोई चोर आ जाये जा कोई लफंगा तो उसके लिये” कमलदीप ने जवाब दिया। “वो तो ठीक है लेकिन मेने आज तक किसी लड्की या औरत के पास तलवार नही देखी” अब्दुल बोला। तो फिर वो सिख्नी नही होगी अब्दुला मियां” कमलदीप बोली। “अच्छा, तुम तो एसे बोल रही हो जेसे सिख्निया बहुत बहादुर होती है” अब्दुल कमलदीप को देखकर बोला। “तो नही होती है कया, आप शायद जानते नही शेरनीयां होती है हम” कमलदीप ने की तरफ देखते हुए बोला।
“तो शेरनी जी इस तरफ भी देख्लो हम मुस्लिमस भी शेरों से कम नही है” अब्दुल तलवार रखते हुए बोला। “हा जानती हू अब्दुल मियां दुनिया मे 14-15मुल्क है आपके, बहुत गिनती है शेरो की” कमलदीप ने कहा।
“हा है तो, बस कमी एक ही चीज की मार दही है अब हमे” अब्दुल बोला। “और वो कया है” कमलदीप ने पुछा। “यही के वहा शेरनीयां नही है” अब्दुल ने कमलदीप को देखकर कहा। “अच्छा जी, चाही पी लिजिए वर्ना ठंडी हो जायेगी” कमलदीप हस्कर बोली।
अब्दुल अक्सर कमलदीप के साथ एसे डबल मीनिन्ग बताए करता और कमलदीप हंस कर उन्हे टाल देती।
“कया हुआ सिख्नी कुच जवाब नही दिया” अब्दुल ने चाय का कप उठाते हुआ कहा। “शेरनीयां एसे हार किसी को मिलती अब्दुला मियां” कमलदीप बोली।
“छोडीये ना आप भी कया बाते लेकर बेठ गये, आपकी दुकान केसी चल रही है अब्दुल मियां” कमलदीप ने बात को टालते हुए कहा। “दुकान अच्छी चल रही है, तुमरी जॉब का कया हाल है” अब्दुल ने पुछा।
“हा अच्छी जा रही है, मेरि भी और गगन की भी” कमलदीप बोली। गगनजीत कौर कमलदीप की दोस्त है, अब्दुल कयी बार उसे मिल चुका है। “अरे गगन को तो मे भुल ही गया था, केसी है वो” अब्दुल ने पुछा। “अच्छी है वो अब्दुल मियां” कमलदीप बोली। “अब कभी मिलने भी नही आयी, तबियत तो ठीक है ना उसकी” अब्दुल बोला। “हा ठीक है अबदुल मियां बस काम ही इतना जयादा है के वह फ़्री नही हो पाती” कमलदीप बोली। “कोई बात नही, लेकिन उसे बोल्ना जरूर के मेने पूछा था उसके बारे मे” अब्दुल ने कहा। “हा अब्दुल मिया जरूर बोलुगी उसे” कमलदीप ने जवाब दिया।
“अच्छा तो शेरनी जी अब हम चलते है” अब्दुल चाय का कप रखते हुए कमलदीप की तरफ देख कर बोला।
कमलदीप भी अब्दुल की बात सुन मुस्कुरते हुए बोली “ठीक है शेर अब्दुल मियां”।
अब्दुल भी हंस पढ़ा और अपने कमरे मे चला गया। कमलदीप ने दरवाजा बन्द किया कर ऑफिस के काम मे बिज़ी हो गयी।
 

सिख्नी की चुत – पार्ट – 2


अस्सलाम वालेकुम दोस्तो मे अस्लम खान कहानी का अगला पार्ट लेके अया हू। तो चालिये कहानी शुरु कर्ते है।

कमलदीप ऑफिस मे अपने काम मव बिज़ी थी के अचानक उसे एक अवाज सुनाई दी, ‘हाय कमल” कमल ने जब देखा तो सामने से गगनजीत आ रही थी।
“ओह हाय गगन”कमलदीप ने खुश होते हुए कहा और दोनो गले मिली। “केसी है तू” गगन ने कमल से पूछा। “अरे मव तो ठीक हू लेकिन तू बात तू केसी है, 2दिन से जॉब पर भी नही आयी” कमलदीप गगन को बोली। “मे ठीक हू यार बस थोडी सी तबियत बिगड़ गयी, इस्लिये काम पर नही आ पई” गगन बोली।
“तू तो काफी बिज़ी लग रही है मुझे, मेरि हैल्प की जरूरत है” गगन ने कमल को पूछा। “हा यार जब से आयी हू तब से भंडार पड़ा है फाइल्स का, इन्हे अलग अलग sections मे लगवा दे मेरे साथ” कमलदीप गगन को बोली। “अरे अभी लो, 2मिंट मे करवा देती हू” गगन कमल की मदद करने लगी।
“थैंक्स यार कुछतो टेंशन कम हुई” कमल गगन को मदद करते देख बोली।
“और बता रुम केसा है तेरा सेटिंग करवा ली सारी जो जरूरी थी” गगन कमल को बोली।
“अरे रुम का मत पूछ यार, कल मेरि चाबी खो गयी कही तो ताला तोड़ना पड़ा, अज नया ताला लग्गा के आ रही हू ” कमल बोली।
“ओह ताला केसे तोडा फिर तूने” गगन कमल की देख बोली। “मेने कहा तोडा, वो तो भला हो अब्दुल मियां का जिन्होने उसे तोड दिया वर्ना मे सारी रात बाहर ही रह जाती” कमल बोली।
“अरे मे तो भूल गयी थी, केसे है अब्दुल मियां” गगन बोली। “बिल्कुल ठीक है, एक दम अच्छे से, कल तेरे बारे मे भी पूछ रहे थे के आयी क्यो नही कयी दिन से” कमल गगन को देख बोली। “तो तुने कया बताया फिर ” गगन ने पूछा। “मेने कया बताना था मेने बोल दिया के वो तो ओफिस भी आयी दो दिन से यहा कया आयेगी” कमल बोली।
“मे बिमार थी ना यार फिर केसे आती, और क्या बोले अब्दुल मियां” गगन ने पूछा।
“और,,,, हा एक मजे की बात बताऊ जब ताला तोडने के बाद हम दोनो चाय पी रहे थे ना मेरे कमरे मे अब्दुल ने वो तलवार देखी और बोला के मेने आज तक किसी लड्की या औरत के पास इसे नही देखा है” कमल बोली। “फिर तू बोल देती ना के हम सिख्निया है ओर सिख्निया शेरनीयां होती है” गगन ने कमल को देख कर बोला। “अरे हा मेने भी ऐसा हो बोला था तो अब्दुल मियां बोले के हम भी शेर है ब्स हमरे मुल्को मे एक ही चीज की कमी है, मेने बोल वो कया तो बोला वहा शेरनीयां नही है” कमल ने गगन को बोला ओर दोनो हंस पड़ी। “तो अब इसमे हमारा कया कसूर जब व्हा शेरनीया नही है तो ” गगन हस्ते हुये कह रही। “वही तो मुझे भी बहुत हंसी आयी उसके सामने जब उस्ने एसा बोला” कमल बोली।
“वेसे एक बात बोलू यार ये मुस्लिमस होते वाक़ई शेर है” गगन हंसी को रोकते हुए बोली। “वो केसे भला” कमल ने पूछा। “अरे कल की ही बात है जब मे दवाई लेके आ रही थी तो रास्ते मे कुछ लोग एक लद्के को मार रहे थे के तभी वहा एक और लड़का और उसने वहा सबको मार्ना शुरु कर दिया, सबको भगा दिया यार अकेले ने” गगन कमल को देखते हुए बोली। “और तुझे केसे पाता चला के वो मुस्लिम ही था” कमल ने गगन को सवाल किया।
“वो लद्का जिसे उस्ने बचाया वो उसे जहीर बुला रहा था इस से मुझे पाता चला, और अब तू खुद ही देख ना अब्दुल मियां को भी, क्या जिस्म है यार उनका, एक दम गठीला और मस्लर और वो भी 40की उमर मे जब लोग बूढे होने लग जाते है” गगन बोले जा रही थी। “हा यार जिस्म तो अब्दुं मियां का वाक़ई लाजवाब है, बॉडी बिल्डर लगते है” कमल ने भी गगन की हा मे हा बुलाई। “एक बात बोलू अगर मेरि और अब्दुल मियां की उमर मैच होती ना तो मे उनसे शादी कर लेती” गगन बोली। “कया” कमल थोडा हैरां होते हुए बोली। “और नही तो कया, कित्ना मस्त जिस्म है, सोच 40की उमर मे एसा है तो 20-25की उमर मे केसे रहे होगे, हॉट, ” गगन बोले जा रही थी,
“तेरे तो बगल वाले कमरे मे रह्ते है, तू तो रोज देखती है अब्दुल मियां” कभी तुमे एसा कुछ नही लगा।
“यार तू पागल है बिल्कुल उमर तो देख उनकी, 40के है वो, और हम दोंनो मे 23की और तू तो 21की ही है” कमलदीप गगन को देख बोली।
“अरे तो क्या हुआ यार उमर का ही फर्क है, वेसे अब तो उन्होमे तुमे बोल भी दिया, शायद तुम नही समझ पाई” गगन कमल को बोली। “कया बोल दिया ” कमल बोली। “यही के उन्के य्हा शेरनीयो की कमी है, ” गगन कमल को देख बोली “तो तू बनजा ना उस अहर की शेरनी”। “यार तू पागल है बिल्कुल” कमल गगन को देख्ते हुये बोली “कुछ तो सोच तू हम सिख्निया है और वो मुस्लिम और तू है के”। “मे कया, सही ही तो बोल रही हूं, अब्दुल मिया भी तो तुझे चह्ते है” गगन ने कमल को कहा।
“तुझे केसे पता” कमल गगन को देख्ते हुए बोली।
“दिखायी पड़ता है यार वर्ना क़्यो वो रोज रोज तेरे से इत्नी बाते करे तू खुद ही सोच, ” गगन बोली।
“तो उसमे कया है मे भी रुम मे वहा अकेली रह्ती हू और वो भी तो टाईम पास के लिये बाते कर लेते है, इसमे एसी तो कोई बात नहीं लगती मुझे के अब्दुल मियां मुझे गलत नज़रो से देख्ते हो” कमल बोली।
“अच्छा मतलब तू ये नही मानती के अब्दुल मिया तुमे चाह्ते है या प्यार करते है” गगन बोली।
“नही मुझे नही लगता” कमल ने साफ जवाब दिया।
“ओके तो अब जब तू उनसे बात करेगी ना तो उनकी नज़रो को देख्ना कहा कहा घूमतीहै अगर वो यहा आकर रुकी तो समझ लेना के वो तुमसे कया चह्ते है” गगन कमल के मुम्मो पर हाथ लगते हुये बोली।
“ठीक है अगर एसा नही हुआ तो तू बहुत पिटेगी मुझसे” कमल ने गगन को बोला। “हा बिल्कुल “गगन ने पूरे विश्वास से कहा। दोनो अप्ने काम मे लग गयी।
शाम को जब कमल ऑफिस से घर आयी तो अब्दुल दरवाजे के बाहर कुर्सी पर बेठा चाय पी रहा था।
“कया हुआ कमल्दीप चेहरा क़्यो लटका है तेरा” अब्दुल ने कमल को आते देख पूछा। “कुछ नही अब्दुल मियां, आज ऑफिस मे काम ही इतना था के थक गयी हू” कमल ने अब्दुल को बोला ओर ताला खोलने लगी।
“कडक सी चाय बना के दूं” अब्दुल बोला। “अरे नही नही अब्दुल मियां मे बना लेती हू” कमल बोली।
“नही केसे बई, थकी हुई हो, तुम आराम करो मे 2मिंट मे चाय ले के आता हूँ” अब्दुल बोल। इस से पहले के कमल कुछ बोलती अब्दुल चाय बनाने अन्दर चला गया। कमल ने दरवाज खोला और अन्दर आ कर अपना परस टेबल पर रख मुंह हाथ धोने चली गयी। जब तक कमल फ्रेश होकर आयी अब्दुल चाय लेके उसके कमरे मे आ चुका था, “ये लो कमल गर्मा गर्म चाय बिल्कुल तुम्हारी तरह” अब्दुल कमल को चाय पकड़ाते हुये बोला। कमल ने मुस्कुरा कर चाय का कप ले लिया और दोनो बेठ कर पिने लगे। कमल को अब भी गगन की बात याद आ रही थी “अग्र बाते बाते करते वक़्त उनकी नज़र य्हा रुकी तो समझ लेना के वो तुमसे कया चह्ते है” कमल आंख बचा कर अब्दुल को देख रही थी। उसने देखा के अब्दुल की नज़र उसके छोटे छोटे मुम्मो पर गडी थी। कमल को भी अब लग्ने लगा जेसे अब्दुल उसे प्यार करता हो या पाना चह्ता हो। कमल ने चाय पीके कप टेबल पर रखा और खडी होकर मिरर की तरफ चली गयी। “कमल आज खाना मत बनाना तुम” अब्दुल बोला। “क्यो अब्दुल मियां ” कमल बोली।
“अरे आज ईद है तो हम साथ मे खायेगे ” अब्दुल बोला। कमल ने अब्दुल को देखा तो वो उसे देख मुस्कुर रहा था, “ठीक है अब्दुल मियां” कमल बोली।
“ये हुई ना बात” अब्दुल बोला और चला गया।
अब्दुल के जाते ही कमल ने कमरे का दरवाजा बंद किया और मिरर के पास आ गयी। वह खुद को देख रही थी। गगन की बातो वह गरम हो गयी थी। “आखिर अब्दुल मिया देख कया रहे थे” कमल मन मे सोच रही थी, कमल ने मिरर के साम्ने आपनी कुर्ती और ब्रा उतारि तो उसे मिर्रर मे अपने चोते छोटे32 के गोरे मुम्मे दिखायी दे रहे थे। कमल उन्हे छूने लगी, “उउफ्फ्फ कया कर रही हू मे” कमल के दिल बातो का तूफान चल र्हा था। वह मिरर के सम्ने खडी अपने मुम्मो को हाथ मे लिये सहला रही। कमल केसे जेसे अपने मुम्मो को श्लती तो उसे गगन की बाते याद आ जाती और उसे लग्ता जेसे अब्दुल उसके पीछे ही खडा हो। कित्ना ही टाईम कमल एसे ही खडी रही, लेकिन फिर अचानक से उसने कपडे पहने और ऑफिस का बचा काम निपटाने मे लग गयी।
 

सिख्नी की चुत – पार्ट – 3


अस्सलाम ओ लेकुम दोस्तो मे अस्लम खान हाज़िर हू स्टोरी का अगला पार्ट लेकर।

कमल अप्ने ऑफिस का काम कर रही थी। करीब 30मिंट बैड दरवाजे पर दस्तक हुई। ” कौन है ” कमल ने बेठी ने ही अवाज लगाकर पुछा। ” अरे मे हू कमल अब्दुल, दरवाजा खोलो खाना लेकर आया हू “, अब्दुल ने जवाब दिया जो अब तक खाना लेकर आ गया था।
” अरे हा अब्दुल मियां रुकिये एक मिंट मे खोलती हू अभी “, कमल फौरन उठी पर उसने दरवाजा खोला तो सामने अब्दुल खाने के टिफ़िन लिये खडा था। दर्वजा खुल्ते ही वो अण्डेर आ गया और टिफ़िन टेबल पर रखता हुआ बोला, ” ओह्ह बहुत भारी है भई टिफ़िन तो “। ” अरे इतना खाना कौन खायेगा अब्दुल मियां हम तो सिर्फ दो ही है और आप इत्ना सारा खाना ले आये ” कमल खाने के भरे टिफ़िन देखकर बोली।
” अरे मे खाओगा ना भाई, ये जिस्म देख रही हो साँड़ जेसा इस खाने से ही तो भरेगा यह ” अब्दुल टिफ़िन खोलता हुआ बोला।
” चलो आ जाओ अब काम बाद मे कर लेना पहले खाना निपटा ले ” अब्दुल ने टिफ़िन खोलते हुए कहा।
” हा मे हाथ धोकर आती हू ” कमल बोली ओर हाथ धोने चली गयी। अब्दुल ने टिफ़िन खोले ओर निचे जमीन पर ही बेठ गया। इतने मे कमल भी हाथ धोकर आ गयी और निचे ही बेठ गयी। ” लाईये दिजीये खाना अब्दुल मियां, बहुत भूख लग रही है “, कमल ने निचे बेठ्ते हुए बोला।
” क्या खाओगी चिकन या वेज भोजन ” अब्दुल ने पुछा।
” नही मे तो वेज ही खाओगी अब्दुल मियां, चिकन नही खाती मे ” कमल ने जवाब दिया।
” अरे खा लिया करो कभी कभी, अच्छा होता है सेहत के लिये, अब मुझे ही देखो ” अब्दुल ने कमल को चपाती और सब्जी देते हुए कहा।
” नही अब्दुल मिया मुझे अच्छा नही लग्ता है ” कमल ने बोला।। ” जेसे तुमारी मर्जी ” इतना केह्ते हुए अब्दुल ने अल्लाह को याद किया और खाने लगा। कमलदीप देख रही थी के केसे अब्दुल बिना हिचकिचाये गोश्त खाए जा रहा था।
” अच्छा कमल एक बात बोलू अगर बुर ना मानो तो ” अब्दुल बोला।
” आपकी बात का कया बुरा मानना, बोलिए अब्दुल मिया ” कमल ने जवाब दिया।
” तुमारा कोई बॉयफ्रेंड है कया ” अब्दुल ने पुछा।
अब्दुल की बात सुन कर कमल ने अब्दुल को देखा तो वह भी उसे देख रहा था, ” अरे नही नही अब्दुल मियां कोई नही है ” कमल बोली।
” अरे मुझसे कया शर्मा रही हो, अगर है तो बता दो, भई ये तो आम है आजकल लडके लडकियो मे ” अब्दुल ने कहा।
” नही मे वेसी नही हू अब्दुल मियां, अप तो जन्ते ही है ” कमल शर्माते हुए बोली।
” मे जान्ता हू कमल, लेकिन कोई एक अपना होना चाहिये जिस से हम अपनी सारी बाते कर सके, अब वो सामने वाले शर्मा जी की वाइफ को लेलो, वो शर्मा जी से कम मुझसे अपनी बाते जयादा करती है ” अब्दुल ने कहा।
” लेकिन वो आप्से क्यो बाते करती है अब्दुल मिया ” कमल अनजान बनते हुए बोली।
” अब तुम जवाँ लोगो की जुबां मे कहू तो मे उसका बॉय फ्रेंड हू ” अब्दुल हस्ते हुए बोला।
कमल अब्दुल की बात सुनकर हेरान हो गयी।
” अच्छा एक बात बताओ कमल, तुमारा कोई बॉय फ्रेंड नही है, ” अब्दुल बोला।
” हा बिल्कुल ” कमल ने हामी भरी।
” तो मान्लो अगर कोई लड़का तुमे प्र्पोज करता है तो तुम क्या देखोगी, मतलब क्या चाह्ती ही तुम के तुमारा बॉय फ्रेंड केसा हो ” अब्दुल ने पुछा।
” देखीये अब्दुल मियां पहली बात तो येह की मस्लर हो आपकी तरह, अच्छी तहजीब का मलिक हो, वैल एजुकेटेड हो, और बस ” कमल ने जवाब दिया।
” और रन्ग गोरा साँवला काला, या धरम मुस्लिम हिन्दू सिख कोई भी हो या कोई चॉइस है ” अब्दुल ने पुछा।
” रंग से क्या लेना गोरा काला, वो तो चम्डी ही है, और रही बात धरम की तो वो भी कोई भी हो, 21वी सदी है अब कोनसा हम पुरातन युग मे है ” कमल ने जवाब दिया। तब तक दोनो ने अपना खाना खा लिया था।
” हम्म्म तो मस्लर मे ह, तहजीब भी कुछ कुछ अच्छी है, और एजुकेशन कुच खास नही, तो अगर मे तुम्हे प्रपोज करु तो ” अब्दुल ने मुस्कुरते हुए कमल से कहा।
कमल भी अब्दुल की बात सुन शर्मा सी गयी, लेकिन एक दम से जवाब दिया, ” अब आप शर्मा जी की वाइफ के बॉय फ्रेंड है अब्दल मियां “।
” अरे तो कया हुआ सिख्नी, हमारे धरम मे तो एक आदमी कई निकाह कर लेता है मे तो सिर्फ गर्लफ्रैंड ही एक और बना रहा हू ” अब्दुल ने जवाब दिया।
” फिर भी अब्दुल मियां, विश्वास भी तो कुछ होता है ” कमल बोली।
” अब इस से जयादा क्या विश्वास दु सिख्नी, तुमे पहले ही बता दिया के एक गर्लफ्रैंड है मेरी और तुमे दुसरी बनाना चाहता हू ” तुम अपनी हा ना बताओ ” अब्दुल बोला।
” ह्ह्म्ं सोचना पडेगा अब्दुल मियां ” कमल ने मुस्कुरा कर कहा।
” अरे सिख्नी सोचना क्या है, गीदड से दिल लगाने को नही बोल रहा हू, तू शेरनी है तो हम भी शेर है, याद है के भूल गयी ” अब्दुल हस्ता हुआ बोला।
” फिर भी अब्दुल मिया सोच कर फैसला करूगी ” कमल बर्तन उठाते हुए बोली।
” सोच ले सिख्नी, जब दिल चाहे बता देना “। अब्दुल बोला और अप्ने कमरे मे चला गया।
कमल ने बर्तन साफ किये और ओफ्स का बाकी काम निपटाने लगी लेकिन काम मे उसका दिल ही नही लग रहा था। उसे कबी गगन की बात याद आती तो कभी अब्दुल का प्रपोज करना। इन बातो को सोचते हुए वह बिस्तर पर लेट गयी और सो गयी
 

सिख्नी की चुत – पार्ट – 4


अस्सलाम ओ लेकुम दोस्तो मे अस्लम खान हाज़िर हू स्टोरी का अगला पार्ट लेकर।

अग्ली सुबह कमलदीप अप्ने ऑफिस चली गयी और वहा काम मे लग गयी लेकिन उसका ध्यान काम पर नही लग रहा था। बार बार उसे अब्दुल के खयाल आ रहे थे, उसकी कही हुई बाते याद आ रही थी।
उसके जिस्म के एक सन्सनी सी दौड़ रही थी लग रहा था जेसे कोई उस्का जिस्म छू रहा हो। इत्ने मे वहा गगन आ जाती है।
” गुड मॉर्निंग मिस्स शेरनी कमलदीप कौर ” गगन ने कमल की तरफ आते देखा।
कमल की नज़र गगन पर पड़ी तो वह भी मुस्कुर कर बोली, ” गुड मॉर्निंग गगन “।
गगन – ” और बता केसी है तू “।
कमल – ” एम फ़ाइन तुम बताओ आजकल काफी खुश खुश नज़र आ रही हो, क्या बात है “।
गगन – ” अब मे खुश भी नही रह सकती क्या, “।
कमल – ” अरे बिल्कुल क़्यो नही, मेने कब मना किया तुमे “।
गगन – ” वेसे तू बता तेर शेर केसा है, ठीक तो है ना “।
कमल – ” मेरा कोन्सा शेर “।
गगन – ” अरे वाह भूल भी गयी, अब्दुल मियां ओर कौन “।
अब्दुल का नाम सुन्ते ही कमल की चेहरे पर एक लालिमा सी छा गयी और उस्ने शर्माते हुए सर झुका लिया।
गगन – ” आये हाये कुड़ी शर्मा गयी लगता है जेसे बात बन रही है “।
कमल – ” चुप भी कर यार अब, मुझे तुम्से कुछ जरुरी बात करनी है “।
गगन – ” हा बोल ना क्या बात है “।
कमल – ” गगन कल रात यार अब्दुल मिया ने सच मे मुझे प्रपोज कर दिया “।
गगन (मुस्कुराते हुए) – ” हाये फिर तुने क्या जवाब दिया “।
कमल – ” यार वही तो बात करनी है तुमसे के मे क्या जवाब दु अब उन्हे “।
गगन – ” मतलब अब तक तुने कोई जवाब ही नही दिया, हाये मे तो उसी वक़्त हा बोल देती “।
कमल – ” पागल, उनकी पहले ही शर्मा जी की वाइफ के साथ सेटिंग है और अब वो मुझ्से भी करना चह्ते है “।
गगन – ” तो इसमे क्या हुआ यार, वो तो चार चार शादियां कर लेते है “।
कमल – ” फिर भी यार मुझे ये अच्छा सा नही लग रहा “।
गगन – ” क्या अच्छा नही लग रहा यार, तुमे कोनसा उनसे शादी करनी है, मजे तो ले जित्ने ले सकती है और उपर से खर्च मिलेगा सो अलग “।
कमल – ” खर्च केसे “।
गगन – ” अरे इत्नी मस्त सिख्नी मुल्ले की गर्लफ्रैंड बनेगी तो कुछ गिफ्ट्स घुमना शुम्ना, और कपडे वगेरा तो दिलवयेगा ही ना “।
कमल – ” अरे हा यार ये तो मेने सोचा ही नही था, वेसे भी सैलरी से बच्ता ही कया है “।
गगन – ” तो बस फिर शेरनी हा बोल्दे उस शेर और मजे भी लूट और ऐश भी करना “।
कमल – ” ह्ह्म्म बात तो तेरी सही है गगन “।
गगन – ” अच्छा मे चलती हू मेरा भी अभी बहुत काम बाकी है यार “।
गगन वहा से अपने केबिन की ओर चली गयी और कमल गगन की बातो पर सोचने लगी। कमल को भी अब लग रहा था के सौदा फायदे का, मजा मिलेगा सो अलग और उपर से उस्का खर्च भी कुछ निकाल जाया करेगा।
इसी सोच मे कमल ने अपना ओफ्स का काम निपटाया और घर की और चल दी। अग्ली सुबह संडे था तो कमल को ओफ्स से छुट्टी थी इस लिये वो वही से सीधा गुरुदूआरे चली गयी और वहा जूते साफ करने की सेवा करने लगी। कमल के इलावा वहा एक और औरत थी तो वो भी कमल के पास ही आ गयी और सेवा करने लगी। ” नयी लगती हो बेटा पहले तो कभी देखा नही तुम्हे ” उस औरत ने पुछा।
कमल – ” हा आंटी, मै जॉब करती हू तो कभी कभी ही आ पाती हू, आप यहा रोज आते हो “।
” हा बेटा, मे तो रोज आती हू, बल्जीत कौर नाम है मेरा, भोली भी कहते है मुझे “। औरत ने जवाब दिया।
बलजीत कौर की उमर करीब 50साल की है और गोरे रंग की और सुडौल जिसम की मलिक है। उसका फिगर साइज़ 38 36 42 है। बल्जीत कौर एक कोठा(चकला, रंडीखाना)चलाती है और अक्सर वह गुरुदवारे मन्दिरो मे अपने कोठे के लिये लडकिया ढूँढने जाती है।
” जी आंटी मेरा नाम कमलदीप कौर है “। कमल ने जवाब दिया।
बल्जीत(भोली) – ” अच्छा नाम है, कहा जॉब करती हो बेटा “।
कमल – ” यही जॉब करती हू आंटी, बजाज ग्रुप ऑफ़ कंपनीज मे “।
भोली – ” अच्छा, बड़ी अच्छी बात है बेटा वर्ना आजकल की लड़किया तो तौबा “।
कमल – ” आप भी कोई जॉब करती हो आंटी “।
भोली – ” अरे नही बेटा मेरा तो खुद का काम है, मसाजपार्लर है मेरा “।
कमल – ” अच्छा फिर तो लडकिया रखी होगी अपने आंटी “।
भोली – ” हा बेटा ये मेरा कार्ड है, कभी जरूरत पड़े तो “। भोली ने अपना कार्ड कमल को देते हुए बोला।
” हा आंटी जरुर ” कमल ने कार्ड लिया और जाने लगी।
उसे घर आते आते काफी अन्धेरा हो चुका था।
 

सिख्नी की चुत – पार्ट – 5


अस्सलाम ओ लेकुम दोस्तो मे अस्लम खान हाज़िर हू स्टोरी का अगला पार्ट लेकर।

कमल को घर पहुंचते पहुंचते 7बज गये, बाहर काफी अन्धेरा हो चुका था। कमल ने दरवाजा खोला और अन्दर आकर दरवाजा लगा लिया। कमल ने अपना परस वगेरह रखा और फ्रेश होने चली गयी और फ्रेश होकर सलवार कमीज पहन ली और बालो का बान्ध कर सर पर चुन्नी ले ली। कमल अपने लिये खाना बनाने लगी थी के उसे खयाल आया अब्दुल से भी खाने का पुछ ले।
कमल ने कमरो के बीच वाला दरवाजा खोला और अब्दुल के कमरे मे आ गयी।
“अब्दुल मियां” कमल ने आवाज लगायी। अब्दुल उस समय बाथरूम मे नहाने जा रहा था और सिर्फ लुंगी मे था तो वेसे ही बाहर निकल आया। कमल अब्दुल को इस हालत मे देख थोड़ा शर्मा सी गयी और उसने अप्ना चेहरा दुसरी तरफ कर लिया। “बोलो सिख्नी” अब्दुल ने कमल की तरफ आते कहा।
“वो अब्दुल्ल मियां मे तो खाने का पूछने आयी थी” कमल हिच्किचाते हुए बोली।
अब तक अब्दुल कमल के बिकुल नजदीक आ गया था, कमल अब्दुल की गरम सांसे अपनी गर्दन पर मेह्सूस कर रही थी। अब्दुल के हाथ अब कमल के कन्धो पर थे। “खाने का क्या सिख्नी” अब्दुल ने कमल के कन्धो को सह्लते हुए कहा। अब्दुल का लंड अब तक पूरा तन चुका था।
“वो अब्दुल मियां मतलब आपका खाना बनाओ के नही” कमल ने लड़खड़ाती आवाज मे कहा।
“मेरे प्रपोज का जवाब तो दे दो पहले सिख्नी फिर खाने का भी बता दूगा” अब्दुल ने कमल के चुतडौ पर से कुर्ती उपर उठा कर सलवार के उपर से ही अपना लंड घिसाने लगा।
“आअह्ह्ह अब्दुल मियां कोन्सा पुर्पोज” कमल भी गर्म हो रही थी।
“शेर से दिल लगयेगी के नही सिख्नी” अब्दुल ने कमल को कमर से पकड उसके चुतद्दो पर लंड रगड़ने लगा “हा है या ना बताओ सिख्नी”।
“उउउफ्फ्फ अब्दुल मिया” कमल के हाथ दिवार से सटे हुए थे, ” मेने ना कब बोला अब्दुल मियां”।
अब्दुल ने कमल को अपनी तरफ घुमाया, “मतलब के तेरी हा है सिख्नी” कमल की आंखो मे देख्ते हुए अब्दुल बोला।
“शेर को ना बोल कर गीदड से दिल केसे लगा सकती है शेरनी” कमल अब्दुल को देख कर बोली।
अब्दुल ने कमल को अपनी तरफ खींचा और सीने से सटा लिया, “तो सिख्नी क्या खयाल है” अब्दुल ने बैड की तरफ इशारा करते हुए कमल को देखा।
कमल ने मुस्कुरते हुए अब्दुल को देखा और हा मे सर हिला दिया।
“मेरि सिख्नी” अब्दुल ने कमल के होंठो को चूमा, “मे अभी आता हू जान, तब तक तुम भी रेडी हो जाओ”
“ठीक है” कमल ने कहा। अब्दुल ने कमीज पहनी और बज्जर को चल दिया। कमल ने अपने कमरे मे गयी और अपने कपडे देखने लगी, उस्मे कमल को एक रेड कुर्ती सलवार दिखा तो कमल ने निकाल लिया और तैयार होने लग गयी।
अब्दुल भी बाज़ार मे फूलों की दुकान से कुछ हार और गुलाब की पत्तिया ले ली। एक दुकान से अब्दुल ने पायल भी खरीद ली और वापिस आ गया। अब्दुल अपने कमरे मे आ गया, और उसने फूलो के हार अपने बैड के चारो तरफ सजा दिये और बिस्तर पर गुल की पत्तिया बिखेर दी। अब्दुल ने बीच वाले दरवाजे पर दस्तक दी, “कमल सिख्नी”। “आयी अब्दुल मिया” कमल ने जवाब दिया और दरवाजा खोला। कमल रेड कुर्ती सलवार मे अब्दुल के सामने थी, अब्दुल कमल को देख्ता ही रह गया, वो किसी परी से भी सुन्दर लग रही थी। “माशाअल्लाह” अब्दुल सिर्फ इत्ना ही बोल पाया।
कमल अब्दुल के कम्रे मे आ वाई ओर बैड तरफ देखने लगी, “केसा लगा सिख्नी” अब्दुल ने कमल के पीछे आते हुए कहा। कमल कुछ नही बोली बस अब्दुल को देख मुस्कुरा पड़ी। “एक तोहफा और भी है मेरि सिख्नी तेरे लिये” अब्दुल बोला। “वो कया है”कमल ने पूछा।
अब्दुल ने कमल को बैड पर बिठाया और उसके पैरो मे पायल पहना दी, “ये तोहफा” अब्दुल पायल को खन्काते हुए बोला। “बहुत ही सुन्दर है अब्दुल मिया” कमल पायल को देख कर बोली।
“आज से तुम मुझे अब्दुल मियां नही बुलओगी सिख्नी” अब्दुल ने कमल से कहा।
“तो और क्या बुलाओ” कमल ने अब्दुल को देखा।
“जेसे मे तुम्हे सिख्नी बुलाता हू वेसे ही तुम भी मुझे मुसला बुलओगी” अब्दुल कमल को देख कर बोला।
“ठीक है मेरे मुस्ले” कमल मुस्कुरा कर बोली।
“तो सिख्नी फिर क्या खयाल है इस मुस्ले के बारे मे” अब्दुल कमल के पास आ गया।
“खयाल तो नेक ही है मेरे मुस्ले” कमल होंठो को चबाते हुए बोली।
अब्दुल ने पास आकर कमल के होंठो को चूमने लगा, और कुर्ती के उपर से कमल के छोटे छोटे मम्मे सहलाने लगा। कमल भी अब्दुल के होंठो को चूम रन्ही थी। होठो और गालो को चूम्ते अब्दुल ने कमल की चुन्नी उतार दी और कमल की कमीज उतारने लगा। कमल ने अपने बाहे उपर उठा दी और अब्दुल ने कमल की कुर्ती उतार फेंक दी। कमल ब्रा सलवार मे अब्दुल के सामने थी। अब्दुल ब्रा के उपरसे कमल के मम्मे मसल रहा था और साथ ही दुसरे हाथ से ब्रा की हुक खोल उतर कर दूर फेक दी। कमल के 32के छोटे छोटे मम्मे अब अब्दुल के सम्ने थे। अब्दुल ने बिनदेरि किये कमल का एक मम्मा मुह मे भर चुस्ने लगा और दूसरा हाथ से मसल्ने लगा।
कमल के मुह से आअह्ह्ह उउउफ्फ्फ की सिसकिया निकल रही थी और अब्दुल कमल के दोनो मम्मो को बारि बारि से मुह मे लेकर चुस्स रहा था। कमल के हाथ अब्दुल के जिस्म को सहला रहे थे। अब्दुल कमल के मम्मो को चुस्ते हुए सलवार के उपर से अपना हाथ कमल की चुत पर ले गया और मस्लने लगा, उउउफ्फ्फ्फ मुस्ले हाये कमल की सिसकी निकाल गयी।
अब्दुल ने सलवार मे हाथ डाला और नाड़ा बाहर निकाल खोल दिया। कमल बिस्तर पर बेठी थी और अब्दुल ने उसकी सलवार उतर दी। अब्दुल ने खडे होकर अपनी कमीज भी उतार दी और सिर्फ लुंगी मे आ गया।
अब्दुल ने निचे बेठ जेसे ही कमल की टांगो को खोला तो उसे कमल की गुलाबी सिख्नी चुत दिखायी देने लगी।
एसा लग रहा था मानो कोई कली खिलकर फूल बनने का इंतज़ार कर रही हो। अब्दुल ने कमल की टाँगे खोल उंगलियो से कमल की चुत को खोला तो लाला सुरख चुत का दरवाजा अब्दुल को साफ़ नज़र आने लगा, अब्दुल ने अपनी जीभ कमल की चुत पर लगा दी, उउउफ्फ्फ्फ हाये” कमल सिस्क उठी और थोड़ा लेट कर अपनी चुत उपर उठा दी। अब्दुल अब कमल की चुत को चूसे जा रहा था और जीभ से अन्दर तक चाट रहा था। कमल भी आअह्ह्ह्ह उउउह्ह्ह सिसकिया लेते हुए काले कट्टर मुस्ले से अपनी गुलाबी सिख्नी मुलायम चुत चटवा रही थी। अब्दुल चुत को छोड़ अब खडा हो गया और कमल को उठने का इशारा किया। कमल बिस्तर पर बेठ गयी। “अब इस छोटे मुस्ले का भी कुछ इन्तज़ाम करो सिख्नी” अब्दुल ने अपनी लुंगी की तरफ इशारा किया। कमल अब्दुल की बात सुन मुस्कुरा पड़ी और उसने अब्दुल की लुंगी उठायी। जेसे ही कमल ने अब्दुल की लुंगी उठायी तो निचे से 12इन्च का काला लंड कमल को सलामी देने लगा। कमल ने लंड को हाथ मे पकडा और सहलाने लगी। अब्दुल का लंड एक दम सखत रॉड जेसा खडा था। “केसा लगा सिख्नी को छोटा मुसला” अब्दुल ने पुछा। “हाये एक दम बडे मुस्ले जेसा मस्लर है ये भी” कमल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया। “चुसो इसे सिख्नी मुह मे लो” अब्दुल लंड कमल के मूह के पास करते हुए बोला। कमल ने भी अपने होंठ खोले और काले मूसल को मुंह मे लेकर चुस्ने लगी उउम्ंं मुउअहम्म्ंं, कमल लंड को चूसे जा रही थी और निचे गोटिया भी सहला रही थी। “तू तो वेज थी सिख्नी और अब मुस्ले का लंड चुस रही हो” अब्दुल हस्ते हुए बोला। “हाये इस मुस्ले के लिये तो नोन-वेज भी हो जाओगी” कमल भी लंड चुस्ती हुई बोली।
“लेट जा सिख्नी अब तेरी छोटी सिख्नी को हलाल करेगा ये मुसला” अब्दुल ने कमल को बैड पर लेटने को कहा। कमल बैड के बिच मे लेट जिस से अब्दुल उसकी टांगो के बिच मे खडा हो गया और टाँगे खुलवा कर उसकी चुत पर अपना मूसल जेसा लंड रगड़ने लगा।
“तैयार हो ना मेरि सिख्नी” अब्दुल कमल को देख बोला। “हा मुस्ले रेडी हू मे” कमल ने जवाब दिया।
“हाये जान एक बार बता तो दो किसका कया और कहा लेने जा रही हो” अब्दुल ने अपना टोपा चुत के दरवाजे पर सेट करते हुए कहा।
“अब्दुल मुस्ले का लंड लेने जा रही हू अपनी सिख्नी चुत मे अब्दुल मियां” कमल ने भी मुस्कराएते हुए कहा।
जेसे ही कमल ने ये जवाब दिया तो अब्दुल ने जोर से एक धक्का दे मारा और लंड कमल की चुत को चीरता हुआ आधे से ज्यादा घुस गया। कमल की चुत का दरवाजा अब टूट चुका था और चुत मे से हल्का सा खून बाहर आ गया, जिसे देख अब्दुल को पाता चल गया के मुस्ले के लंड ने सिख्नी चुत पर फतह पा ली है।
जेसे आधे से जयादा लंड कमल की चुत मे घुसा तो उसकी एक चीख निकाल गयी, “हाय्ये रब्बा आआह्ह्ह्ह्ह्ह मुस्ले स्स्स्सीईई मर्र्र्र गयी” कहती हुई कमल अब्दुल के लंड के वार को झेल गयी। अब्दुल ने अब अप्ना लंड अन्दर बाहर कर्ना सुरु किया, अभी भी 4इन्च लंड कमल की चुत मे जाना था। करिब 5मिंट बाद जब कमल थोड़ा सहज मे आने लगी तो अब्दुल ने फिर से एक जोर का धक्का दे मारा, इस बार लंड चुत को पूरा चीरता हुआ जड़ तक घुस गया, इस से पहले की कमल चिल्लाती अब्दुल ने उसके मुह पर हाथ रख दिया, दर्द की वजह से कमल की आंखो से आंसू आ गये, अब्दुल हल्के हल्के धक्के से लंड को अन्दर बाहर कर्ने लगा। कुछ ही देर मे कमल को भी मजा आने लगा और वह भी अपने चुतड्ड उपर उठा कर लंड लेने लगी। बदल ने धीरे धीरे धक्के तेज़ कर दिये वह लंड को बाहर निकाल पूरा लंड चुत मे घुसा रहा था और कमल भी “हायेई उउउईई मा स्स्स्स्स्स हाये मुस्ले आह्ह्ह्ह सिसकिया लेती हुई अब्दुल से चुदवा रही थी। अब्दुल अब जोश मे आकर चुत चोद रहा था। तेज धक्को से पुरा बैड हिल रहा था और कमल के पैरो की पायल जोर जोर से शोर मचा रही थी। “”आह्ह्ह मेरि सिख्नी”अब्दुल्ल धक्के मारते हुए बोला, “हायेए मुस्ले क्या है” कमल ने पूछा।
“जान तेरी पायल इत्ना शोर क्यो मचा रही है” अब्दुल ने धक्का मारा। “आह्ह्ह्ह हयेई मुस्ले स्स्सीई वो शोर् मचा कर मोहल्ले वालो को बता रही है मूसले हये” कमल सिसकी लेते हुई बोली।
“क्या बता रही सिख्नी” अब्दुल ने पूछा।
“स्स्सीई बता रही है के सिख्नी मुस्ले के निचे है और मुसला अपने लंड से उसे पेल रहा है आह्ह्ह्ह्ह” कमल बोली।
“हाये मेरि सिख्नी” अब्दुल ने जोर का धक्का मार लंड पुरा चुत मे उतारा, “सिख्नी भी तो फिर मजे से मुल्ले का लुल्ला खा रही है”।
“आऊच्च्च आह्ह्ह्ह हाये अब सिख्नी मुल्ले का लुल्ला नही खायेगी तो किसका खायेगी, आखिर शेरनी शेर के पास ही जाती है स्स्सीई” कमल ने जवाब दिया।
अब्दुल ने अब कमल का जवाब सून धक्के और तेज कर दिये, कमल की चुत दो बार पानी छोड़ चुकी थी और अब्दुल भी अब झद्ने वाला था, “सिख्नी अन्दर ही डाल दु क्या अपनी मलाई” अब्दुल ने कमल से कहा।
“आअह्ह्ह्ह्ह स्स्सीई नही मुस्ले अभी नही बाहर डाल दो अभी” कमल ने जवाब दिया अब्दुल ने लंड बाहर निकाल सहलाने लगा और एक दम लंड से पिचकारी निकली जो कमल के मम्मो पर जा गिरी, कमल ने उसे अपने मम्मो पर मस्लन शुरु कर दिया। अब्दुल के लंड का सारा माल कमल के मम्मो और पेट पर गिर रहा था जिसे कमल क्रीम की तेरह मसाज कर रही थी। माल निकाल अब्दुल भी कमल के साथ मे लेट गया, “केसा लगा सिख्नी मुल्ले का लुल्ला” अब्दुल बोला।
“अब क्या बोलू मुल्ले, इसने झंडे गाड़ दिये अपनी जीत के” कमल ने जवाब दिया। “अभी तो झंडे गाड्ने बाकी है सिख्नी” अब्दुल बोला।
“अब कहा झंडे गाड्ने है इसने” कमल बोली।
“यहा पर सिख्नी, जब तक सिख्नी की गांड मे मुल्ले का लुल्ला नही जायेगा, जीत अधुरी रहेगी सिख्नी” अब्दुल ने कमल के चुतड्ड सह्ल्ते हुए कहा।
“हाये मुल्ले तो जीत लो ना फिर सिख्नी को और बना लो अपनी मल्कियत” कमल अब्दुल को देख बोली।
“चल फिर घोड़ी बन जा सिख्नी”। अब्दुल ने कमल को घोड़ी बनाया। अब्दुल बाथरूम से सरसो का तेल ले आया और उसे अपने पर लगा लिया और कुछ कमल की गांड मे भी लगा दिया। “चुतड्ड तो खोल सिख्नी” अब्दुल बोला। कमल ने दोनो हाथो से अपने चुतद्द खोले तो अब्दुल ने अप्ना लंड उसके छेद पर सेट किया और धक्का मारा, अब्दुल के धक्के से आधा लंड अन्दर चला गया, “आअह्ह्ह्ह मुल्ले धीरे डाल स्स्सीईई ” कमल ने सिसकी लेते हुए कहा। अब्दुल ने लंड के झटके लगने शुरु किये और साथ साथ कमल के गोरे चुतड़ सहलाने लगा, “उउउफ्फ सिख्नी तेरे चुत्डो का ये नरम गोस्त” अब्दुल बोला। “हायेई आह्ह्ह मुस्ले के हाथो मे है आज”, कमल ने सिसकी लेते हुए कहा।
कमल के मुंह से ये बात सुन्ते ही अब्दुल ने जोर का धक्का मरा और पुरा लंड कमल के चुत्डो मे समा गया।
“हायेई मा मार डाला उउउफ्फ अब्दुल मियां धीरे” कमल ने सिसकी लेते हुए कहा। “क्या करू सिख्नी तेरे नरम चुतडौ को देख जोश आ जाता है, वेसे एक बात तो तो माननी पड़ेगी” अब्दुल ने कमल के चुतड़ श्लते हुए धक्का मरते कहा।
“स्सीई आह्ह्ह कौनसी बात” कमल ने पूछा।
“”यही के तुमरे रब ने तुम्हे फुर्सत से बनाया है, उउफ्फ्फ क्या मखमल जेसा गोर जिस्म है” अब्दुल ने तेज धक्का मारा।
“हायेईए तुम्हे भी तो तुम्हारे अल्लाह ने बाकमाल हथ्यार दिया है अब्दुल मियां” कमल ने पीछे मुडकर देखते हुए कहा। ” कोनसा हथ्यार सिख्नी” अब्दुल ने कमल को देख पूछा।
“वो हथ्यार जो अभी इस सिख्नी के जिस्म मे है” कमल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया। अब्दुल को कमल की बात सुन जोश आ गया और उसने स्पीड बढा दी, वो तेज तेज कमल को चोदने लगा और कमल भी आअह्ह्ह आह्ह्ह्ह स्स्सीई हयेई सिसकिया लेती हुई अब्दुल से चुदवा रही थी। करीब दो घंटे बाद अब्दुल ने अपना माल कमल की गांड मे छोड़ दिया, “आह्ह्ह सिख्नी ले संभाल मुल्ले का माल अप्ने चुतद्दो मे” कहते हुए अब्दुल ने सारा माल कमल की गांड मे निकाल दिया और बिस्तर पर लेट गया। कमल भी नगन अवस्था मे ही अब्दुल के सीने पर सर रख कर सो गयी।
 

सिख्नी की चुत – पार्ट – 6


सुबह जब कमल को जाग आयी तो करीब सुबह के 6बज रहे थे, अब्दुल और कमल के जिस्म पर एक भी कपडा नही था दोनो बिल्कुल नंगे थे। अब्दुल अब भी सो रहा था और कमल उसे गौर से देख रही थी। एकाएक कमल की नज़र अब्दुल के काले लंड पर पड़ी जो निचे की तरफ लटका हुआ था, कमल उठी और गौर से अब्दुल ले लंड को देखने लगी, लंड सोया हुआ था लेकिन फि भी उसकी लम्बाई करीब 7इन्च तक थी और निचे अब्दुल के भरी भरकम काले गोटे भी लटक रहे थे। कमल उसे देखे जा रही थी और हल्के हाथ से उसे टच कर रही थी, साथ मे मुस्कुरा भी रही थी, कमल को खुद पर नाज भी हो रहा था के उसकी चुत की सील एक घोड़े जेसे लंड वाले मर्द ने तोडी थी। कमल ने लंड पर हल्का सा किस्स किया और फिर बाथरूम मे जाकर फ्रेश हो गयी। फ्रेश होकर कमल अप्ने कमरे मे गयी और व्हा से हल्का गुलाबी रंग का सुईट पहन लिया, चुकि अज रविवार था तो कमल को ऑफिस से छुट्टी थी, कमल ने अब अपने और अब्दुल के लिये कॉफ़ी बनाई और वापिस अब्दुल के कमरे मे आ गयी, उसने निचे से अब्दुल की लुंगी उठाई और अब्दुल के लंड पर रखते हुए अब्दुल को जगाने लगी, “अब्दुल मियां उठो देखो सुबह हो गयी।” अब्दुल जागा तो देखा कमरे की विंडो से सूरज की किरने अन्दर आ रही थी। कमल ने कॉफी टेबल पर रख दी थी। अब्दुल उठा तो उसने देखा कमल गुलाबी रंग के सूट मे उसने बेठी थी और वह सिर्फ एक लुंगी मे था जो अभी अभी कमल ने उसके उपर दी थी।
“गुड मॉर्निंग सिख्नी” अब्दुल हस्ता हुआ कमल को बोला।
“गुड मॉर्निंग अब्दुल मियां, जाईये फ्रेश हो आईए, कॉफ़ी तैयार है आपकी” कमल ने मुस्कुरा कर जवाब दिया। जेसे ही अब्दुल उठा उसकी लुंगी निचे गिर पड़ी और वह नंगा हो गया जिसे देख कमल की हंसी निकल गयी। अब्दुल ने पहले खुद को देखा और फिर कमल को देखकर बोला, “हंसी क्यो सिख्नी, इसी मुस्लिम लुल्ले के निचे रात कराह रही थी तू”।
“कुछनही अब्दुल मियां बस उही हंसी निकल गयी” कमल ने जवाब दिया। अब्दुल उसी तरह बाथरूम मे चला गया, “आज संडे है तो ऑफिस बंद होगा सिख्नी का” अब्दुल ने बाथरूम से फ्रेश होते हुए कमल से पुछा।
“हा अब्दुल मियां आज छुट्टी है” कमल कॉफ़ी पीती हुई बोली।
“अब्दुल मियां, रात को तो तुम मुझे कुछ और ही नाम से पुकार रही थी मेरि सिख्नी” अब्दुल कमल से बोला। कमल समझ गयी के अब्दुल क्या सुनना चाहता है, “हा मेरे मुस्ले ओफिस बंद है आज। ” कमल ने जवाब दिया। इत्ने मे अब्दुल बाथरूम से बाहर आ गया और कमल के मुम्मे को कुर्ती के उपर से मस्ल्ता हुआ बोला, “तो हमारा ऑफिस चालू करले आज”। कमल ने अब्दुल की तरफ देखाऔर स्माइल देते हुए बोली, “पहले कॉफ़ी तो पिलो बाद मे पूरा दिन है मुस्ले ऑफिस के लिये”।
अब्दुल ने कमल का मम्मा मसला और कॉफ़ी पीने लगा। अब्दुल और कमल दोनो एक दुसरे को देखते हुए कॉफ़ी पी रहे थे के इत्ने मे कमल का फोन बजा।
“हेल्लो” कमल ने फोन उठाते हुए जवाब दिया।
“हेलो कमल मै गगन बोल रही हू” कमल की ओफिस फ्रेंड गगन का फ़ोन था।
“हा बोलो गगन” कमल ने जवाब दिया।
“अज संडे है तो खी घुम्ने चले, मूवी देखने” गगन ने पूछा।
“नही गगन मे नही आ पाओगी तू किसी और के साथ चली जा” कमल ने जवाब दिया।
“चल ना यार प्लीज मुझे तेरे बिना मजा नही आता” गगन कमल को बोली।
“मे बिज़ी हू गगन, नही जा पाओगी, सॉरी” कमल ने थोड़ा जोर दिया।
“अच्छा ठीक है फिर” कहते हुए गगन ने फोन काट दिया।
“कहा बिज़ी है आज सिख्नी” अब्दुल ने कमल की तरफ देखते हुए पूछा।
“कही नही मुस्ले, बस इस से पीछा छुड़वाने के लिये कहा था” कमल ने बोला।
“कौन थी वेसे ये तुमरि फ्रेंड” अब्दुल ने पूछा।
“ऑफिस फ्रेंड है मेरि गगनजीत, घुमने जाने के लिये कह रही थी” कमल ने जवाब दिया।
“गगनजीत, सिख्नी है क्या ये भी” अब्दुल ने पूछा।
“हा सिख्नी है, लेकिन तुम क्यो पूछ रहे हो” कमल अब्दुल की तरफ देखती हुई बोली।
“अरे कुछ नही बस उही पूछ रहा था मे तो” अब्दुल बोला।
“कोई तो बात है मुस्ले, सोच लेना अब अगर मुझे छोड़ किसी और पर लाईन मारी तो” कमल अब्दुल की तरफ देखती हुई बोली।
“अरे नही सिख्नी मे क़्यो लाईन मारने लगा, पुछा इसलिये के हो सक्ता है कल तेरी इस सिख्नी दोस्त को भी अगर मुस्ले की जरूरत पड़ी तो ढूंड दूंगा मे”। अब्दुल कमल को देख मुस्कुराता हुआ बोला।
“अच्छा, तो अब जोडियां बनाने काम भी करेगे आप” कमल हंस कर बोली।
“क़्यो नही जान अब शेरनी को कभी ना कभी तो शेर की जरूरत पड़ेगी ही ना, जेसे तुम और मे” अब्दुल कमल के पास आ गया।
“ह्ह्म्ं वेसे बात तो आपकी सही है मेरे मुस्ले” कमल खडी हो गयी थी। अब्दुल ने उसे कमर से पकड कर अपनी नजदीक किया, “तो केसा लगा फिर 23सिख्नी शेरनी को ये 40साल का शेर” अब्दुल ने कमल की आँखो मे देखकर पूछा।
“मस्त शेर है मेरे मुस्ले तू, एक दम धाकड़” कमल ने अब्दुल की छाती सहलाते हुए बोली।
“तो फिर अब कया खयाल है मेरि सिख्नी का” अब्दुल ने कमल का ध्यान अपने लंड की तरफ किया जो अब सर उठाने लगा था। लंड को देख कमल की आंखो मे भी काम उतेज्ना के डोरे साफ़ दिखायी दे रहे, इस से पहले के कमल कुछ बोल पाती अब्दुल ने अप्ना होंठ उसके होंठो पर लगा दिये और दोनो एक दुसरे को किस्स कर्ने लगे, और निचे अब्दुल ने एक झटके मे कमल की सलवार का नाड़ा खोल दिया जिस स्व सलवार कमल की चुत और गोरे चुत्द्दो का साथ छोड़कर निचे जा गिरी। अब्दुल कमल के होंठ चुस्ता हुआ उसके मुम्मे मसल रहा था, एकाएक अब्दुल पीछे हुआ और कमल की कुर्ती को खिच कर निकाल दिया जिस से कमल अब बिल्कुल नंगी हो चुकि थी। अब्दुल ने कमल को अप्ने लंड की तरफ इशारा करते हुए चुस्ने को बोला, कमल अब्दुल इशारा पाकर घुटनो के बल निचे बेठ गयी और अब्दुल लंड को हाथो मे लेकर सहलाते हुए उसे मुह मे लेकर चूसने लगी, “आह्ह्ह मेरि सिख्नी उउफ्फ्फ तेरा मुंह भी किसी चुत से कम नही” अब्दुल कमल को देखकर बोला। कमल तेज़ी से अब्दुल का लंड चुस्ते हुए उसके गोटे सहलाए जा रही थी, लंड कमल के मुंह और हाथों का सपर्श से परी तरह से तन चुका था।
 
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